अखबारः लाइसेंस तो जैसे खैरात बांट दिये
- 137 करोड़ की आबादी के लिए 162 करोड़ अखबार
- सरकारी पैसे पर डाका डालने का जरिया बन गया मीडिया
निशांत सिंह।
अगर कहा जाये कि देश की 137 करोड़ की आबादी के लिए देश में प्रकाशित होते हैं 162 करोड़ अखबार, तो सुनने में अचम्भित जरूर करेगा लेकन सच है। क्योंकि ये आंकड़े ‘‘भारत के समाचारपत्रों के पंजीकरण का कार्यालय’’ भारत सरकार द्वारा वैबसाइट पर जारी किये गये हैं।
संविधान के चोैथे स्तम्भ का दर्जा प्राप्त मीडिया का मजाक बना दिया है अधिकारियों ने, या कहो कि सरकारी पैसे पर डाका डालने का जरिया बना दिया मीडिया को, तो कतई गलत नहीं है। ये बात सच है कि भारत देश में अखबारों के प्रकाशन के लिए जितने लाइसेंस बांटे गये हैं उतने तो शायद प्रकाशित भी नहीं होते होंगे, लेकिन कागजी भूख भरने को जुगाड़ ही पर्याप्त है। ऐसा भी हो नहीं सकता कि जिम्मेदार अधिकारी भी अंजान होंगे इस धांधली से, लेकिन भागीदारी सारे गुनाह माफ कराने का दम रखती है।
अगर बात करें केन्द्रीय बजट 2020-21 की तो 3376 करोड़, 2021-22 तो 4071 करोड़ और केन्द्रीय बजट 2022-23 की तो 3980 करोड़ जारी हुआ था सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को, लेकिन इसे अफसरों से मिलीभगत का ही नतीजा कहेंगे जो भ्रष्टाचारियों ने मीडिया में पांव पसार दिया है।
अगर नजर डाले देश में प्रकाशित होने वाले अखबारों पर तो यहां दैनिक प्रकाशन अखबारों की संख्या है 21700, दैनिक शाम की 886, दैनिक (सोमवार से शुक्रवार) की 33, दैनिक (सोमवार से शनिवार) की 75, दैनिक (रविवार से शुक्रवार) की 5, सप्ताहिक की 50338, सप्ताह में दो बार की 415, सप्ताह में तीन बार की 165, 19 दिनों में एक बार की 20, मासिक अखबारों की 52192, एक महीने में दस दिन की 6, द्विमासिक की 3107, त्रैमासिक की 9809, महीने में तीन बार की 20, साल में तीन बार की 89, चार मासिक की 161, वार्षिक की 2813, अर्धवार्षिक की 2117, द्विवार्षिक की 50, पाक्षिक की 17653, और अन्य की 757 है।
इसके अलावा यदि नजर डालें देश भर में हर राज्य की आबादी और करीब 150 भाषाओं में प्रकाशित होने वाले प्रकाशन संख्या पर तो ‘‘भारत के समाचारपत्रों के पंजीकरण का कार्यालय’’ और ‘‘आधार विभाग’’ के अनुसार आंकड़ें हैं- अण्डमान निकोबान में प्रकाशन 124 और आबादी 417036, आंध्र प्रदेश में प्रकाशन 6542 और आबादी 53903393, अरूणांचल प्रदेश में प्रकाशन 42 और आबादी 1570458, आसाम में प्रकाशन 978 और आबादी 35607039, बिहार में प्रकाशन 2383 और आबादी 124799926, चंडीगढ़ में प्रकाशन 699 और आबादी 1158473, छत्तीसगढ़ में प्रकाशन 2139 और आबादी 29436231, दमन दीव में प्रकाशन 58 और आबादी 615724, दिल्ली में प्रकाशन 16893 और आबादी 18710922, गोवा में प्रकाशन 216 और आबादी 1586250, गुजरात में प्रकाशन 8293 और आबादी 63872399, हरियाणा में प्रकाशन 3051 और आबादी 28204692, हिमाचल प्रदेश में प्रकाशन 540 और आबादी 7451955, जम्मू कश्मीर में प्रकाशन 1374 और आबादी 13606320, झारखंड में प्रकाशन 760 और आबादी 38593948, कर्नाटक में प्रकाशन 9407 और आबादी 67562686, केरला में प्रकाशन 4921 और आबादी 35699443, लद्दाख में प्रकाशन 1 और आबादी 289023, लक्ष्यदीप में प्रकाशन 7 और आबादी 73183, मध्य प्रदेश में प्रकाशन 16047 और आबादी 85358965, महाराष्ट्र में प्रकाशन 23419 और आबादी 123144223, मणिपुर में प्रकाशन 283 और आबादी 3091545, मेघालय में प्रकाशन 138 और आबादी 3366710, मिजोरम में प्रकाशन 216 और आबादी 1239244, नागालैंड में प्रकाशन 36 और आबादी 2249695, ओडीशा में प्रकाशन 3023 और आबादी 46356334, पुंडुचेरी में प्रकाशन 251 और आबादी 1413542, पंजाब में प्रकाशन 3482 और आबादी 30141373, राजस्थान में प्रकाशन 8281 और आबादी 81032689, सिक्किम में प्रकाशन 126 और आबादी 690251, तमिलनाडू में प्रकाशन 9961 और आबादी 77841267, तेलंगाना में प्रकाशन 3411 और आबादी 38510982, त्रिपुरा में प्रकाशन 208 और आबादी 4169794, उत्तर प्रदेश में प्रकाशन 23343 और आबादी 237882725, उत्तराखण्ड में प्रकाशन 3824 और आबादी 11250858, बंगाल में प्रकाशन 7905 और आबादी 99609303। यदि इन सभी अखबारों की प्रकाशन क्षमता औसतन दस हजार भी आंक लेते हैं तो ये देश की आबादी से भी कहीं ज्यादा निकल जाता है।
भारत सरकार के ये आंकड़े कोई गौरवान्वित करने वाले ना होकर खुद में ही शर्मसार करने वाले बनते जा रहे हैं, कारण है कि मीडिया का अर्थ था संसद, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका द्वारा हुई चूक को उजागर करके लोकतंत्र की सुरक्षा करने वाला, जनता के अधिकारों की रक्षा करने वाला। लेकिन आज मीडिया का शर्मसार चेहरा जो सामने आता है उसका एक मजबूत कारण है ये भ्रष्टाचार जो मीडिया जगत में भी घात लगा चुका है।
Hard truth...🫂
ReplyDeleteToo much hard work in collecting this detailed information
ReplyDeleteGood work. Very well done..!
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