बी मिस्टर लेट, बट डोन्ट बी लेट मिस्टर
दुर्घटना से देर भली
सड़क सुरक्षा को अपनाना है, जीवन को सुखद बनाना है
यातायात नियमों को अपनाओं, जीवन अपना सुरक्षित बनाओ
ऐसे हजारों स्लोगन आपको रोड पर चलते दिख जायेंगे। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अत्यधिक दुर्घटना सड़क यातायात के दौरान ही होती है। सड़क यातायात विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय माना जाता है। रेल के साथ साथ सड़क मार्गों से यातायात और समान की ढुलाई आदि सारे संसार में की जाती है। यह देश के विकास और औद्योगिक दृष्टि से आवश्यक भी है। परन्तु अफसोस है कि जहां वाहनों की बढ़ती संख्या ऊंचाईयां छूती जा रहीं हैं, मगर सड़क निर्माण में तेजी तो मानों जुमला बन गया है। आधिकारिक वैबसाइट data.gov.in के अनुसार भारत में जहां सन् 1951 में मौजूद गाड़ियों की संख्या लगभग 306000 थी, वही 2013 तक बढ़ते बढ़ते करीब 182445000 हो गयी।
इसका एक महत्वपूर्ण कारण है हमारे देश में वाहन चालकों केे लिए कोई खास प्रशिक्षण नियम नहीं है, और जुगाड़बाजी हाथ लग गयी तो लाइसेंस मिलना मुश्किल काम है ही नहीं। जिस तरह एक भरी बंदूक खतरनाक होती है, उसी तरह आज सड़क पर दौड़ती गाड़ी भी कम खतरनाक नहीं है। बल्कि यूं कहें तो बंदूक एक बार में 5-7 लोगों की हानि कर सकती है, परन्तु एक वाहन ना जाने कितनों को रौंद सकता है। क्यूंकि अगर आधिकारिक वैबसाइट morth.nic.in की मानें तो 2019 अन्तर्गत सड़क में दुर्घटनाग्रस्त लोगों की आयु सीमा है 18 वर्ष से कम आयु 7 फीसदी, 18 से 25 आयु 22 फीसदी, 25 से 35 आयु 26 फीसदी, 35 से 45 आयु 22 फीसदी, 45 से 60 आयु 15 फीसदी, 60 से अधिक आयु 6 फीसदी और अन्य 2 फीसदी।
यहीं आधिकारिक वैबसाइट morth.nic.in ही के अनुसार सन् 2015 अन्तर्गत जहां करीब 501423 दुर्घटना के मामले दर्ज हुये, वही 2016 में 480652, 2017 में 464910, 2018 में 467044, 2019 में 449002 मामले सड़क दुर्घटना के दर्ज किये गये हैं। जिनमें 2015 में 146133 की मृत्यु, 2016 में 150785, 2017 में 147913, 2018 में 151417, और वर्ष 2019 में 151113 की मृत्यु दर्ज की गयी है।
भारत मेें पिछले सात सालों में औसतन डेढ़ लाख लोग हर साल सड़क दुर्घटना में मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। उसके बाद भी सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा के लिए उढ़ाये गये कदम पर्याप्त महसूस नहीं हो रहे हैं। जहां भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 अन्तर्गत नवीन यातायात नियम लाये गये थे, जिसके अन्तर्गत यातायात नियमों के उल्लंघन में जुर्माने की राशि दोगुना से ज्यादा कर दी गई थी, तथा कुछ ऐसे भी नियम बनाये गये थे जिनमें इससे पहले सजा का कोई प्रावधान नहीं था।
अगर नजर डालें नये नियमों पर तो सामान्य (177) के अपराध पर पहले 100 रूपये जुर्माना था वहीं अब 500 रूपये है। रेड रेगुलेशन नियम का उल्लंघन (177ए) में पहले 100 रूपये जुर्माना और अब 500 रूपये जुर्माना, अथॉरिटी के आदेश की अवहेलना (179) में पहले 500 रूपये और अब 2000 रूपये, अनाधिकृत गाड़ी बिना लाइसेसं चलाना (180) में पहले 1000 रूपये और अब 5000 रूपये, अयोग्यता के बावजूद ड्राइविंग (182) में पहले 500 रूपये और अब 10000 रूपये, बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना (181) में पहले 500 रूपये और अब 5000 रूपये, ओवर साइज वाहन (182बी) में अब 5000 रूपये, ओवर स्पीडिंग (183) में पहले 400 रूपये और अब 1000 रूपये, खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना(184) में पहले 1000 रूपये और अब 5000 रूपये, शराब पीकर गाड़ी चलाना (185) में पहले 2000 रूपये और अब 10000 रूपये, रेसिंग और तेज गति से गाड़ी चलाना (189) में पहले 500 रूपये और अब 5000 रूपये, ओवर लोडिंग (194) में पहले 2 हजार रूपये और 10000 रूपये प्रति टन अतिरिक्त और अब 20 हजार रूपये और 2 हजार रूपये प्रति टन, सीट बेल्ट (194बी) में पहले 100 रूपये और अब 1000 रूपये, बिना पर्मिट के गाड़ी चलाना (192ए) में पहले 5 हजार रूपये तक और अब 10 हजार रूपये तक, लाइसेंस कंडीशन का उल्लंघन (193) में पहले जहां कुछ भी नहीं था, वहीं अब 25 हजार रूपये से 1 लाख रूपये तक, पैसेंजर की ओवर लोडिंग (194ए) में पहले कुछ भी नहीं, वहीं अब 1000 रूपये प्रति पेसेंजर, दोपहिया वाहन पर ओवर लोडिंग में पहले 100 रूपये और अब 2 हजार रूपये और तीन महीने के लिए लाइसेंस रद्द, हेलमेट न पहनने पर पहले 100 रूपये और अब 1000 रूपये और तीन महीने के लिए लाइसेंस रद्द, एमरजेंसी वाहन को रास्ता न देने पर (194ई) में पहले जहां कुछ भी नहीं था वहीं अब 10000 रूपये, बिना इंशोरेंस के गाड़ी चलाने पर (196) में पहले 1000 रूपये और अब 2000 रूपये, दस्तावेजों को लगाने की अधिकारियो की शक्ति (206) में पहले कुछ भी नहीं था वहीं अब 183, 184, 185, 189, 190, 194सी, 194डी, 194ई के तहत ड्राइविंग लाइसेंस को रद्द किया जायेगा, अधिकारियो को लागू करने से किये गए अपराध (210बी) में पहले कुछ भी नहीं था, वहीं अब सम्बंधित अनुभाग के तहत दो बार जुर्माने का प्रावधान है।
इन सबके बाद भी अब उन लोगों का शायद ही कोई इलाज हो जो खुद वो मौत का सौदागर मान कर सड़क पर उतरते हैं।
Content is so strong to aware people about road safety .
ReplyDeleteKeep it up.